आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में महाविद्यालय सभागार में "वैश्वीकरण के युग मे पर्यावरणीय प्रदूषण: मुद्दे और चुनौतियां" विषयक सेमिनार का आयोजन महाविद्यालय भूगोल विभाग ,मनोविज्ञान तथा रसायनशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सिम्फ़र के वैज्ञानिक डॉ आर के तिवारी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने की।
कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय प्राचार्य एवं मुख्य वक्ता के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गई। अपने स्वागत संबोधन एवं विषय प्रवेश में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण के युग मे शक्तिशाली देशों ने अपनी नीतियों को विकासशील देशों पर थोपकर पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा दिया है।उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण की होड़ में पर्यावरणीय मानकों व नियमों में ढील दे दी गई या उनके उल्लंघन को नजरअन्दाज कर दिया गया ताकि देशी और विदेशी, दोनों तरह की कम्पनियों को निवेश के लिये अनुकूल माहौल मिले। इसने पर्यावरण को प्रदूषित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मुख्य वक्ता सह मुख्य अतिथि सिम्फ़र के वैज्ञानिक डॉ आर के तिवारी ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है, जिससे निपटना वैश्विक स्तर पर ही संभव है, किंतु इसके लिए प्रयास स्थानीय स्तर पर भी किए जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनियंत्रित ख़नन पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के वैश्विक प्रयास में विकसित देशों को अपने हिस्से की कीमत ईमानदारी से चुकानी चाहिए।
भूगोल की सहायक प्राध्यापिका प्रो0 स्नेहलता तिर्की ने इस अवसर पर कहा कि भारत ने पर्यावरण संरक्षण के भरसक प्रयास किये हैं। आज भारत मे विश्व का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट स्थापित है। जिससे करीब 2245 मेगावाट बिजली उत्पन्न हो रही है।भारत नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। कार्यक्रम का मंच संचालन भूगोल विभाग की शिक्षिका प्रो0 अंजू कुमारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजित कुमार बर्णवाल ने किया।
इस अवसर पर छात्रों के लिए भाषण एवं पेंटिंग प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। भाषण प्रतियोगिता में रसायनशास्त्र के ज़हीर अंसारी प्रथम, भूगोल के गोविंद कुमार द्वितीय तथा भूगोल की ही प्रतिभा कुमारी तृतीय स्थान पर रही। पेंटिंग प्रतियोगिता में भूगोल की झरना कुमारी प्रथम , सिमरन भारती द्वितीय तथा मनोविज्ञान की समीरा खातून तृतीय स्थान पर रही।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ संजू कुमारी, डॉ रत्ना कुमार,डॉ अशोक कुमार सिंह, डॉ नीना कुमारी, डॉ त्रिवेणी महतो,डॉ कुसुम रानी, डॉ अमित प्रसाद, प्रो0 अविनाश कुमार, डॉ कुहेली बनर्जी, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 विनोद एक्का, प्रो0 पूजा कुमारी, प्रो0 स्नेहलता होरो, मो0 शारिक, प्रदीप महतो,सुजीत मंडल एवं अन्य का प्रमुख योगदान रहा।