आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर के महाविद्यालय सभागार में महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, महाविद्यालय अर्थशास्त्र, वाणिज्य एवं मनोविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह के नेतृत्व में "स्वस्थ हृदय और खुशहाल स्वास्थ्य" विषयक परिचर्चा सम्पन्न हुई।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरीय हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रवि रंजन थे।
उपस्थित छात्रों को अपने शुरुआती संबोधन में प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि भारत में कुल होने वाली मौतों में से 28.1 प्रतिशत मौतों का कारण कार्डियो वेस्कूलर डिजीज (हृदय रोग) हैं, इन मौतों व इससे संबंधित विकलांगता को रोकने के लिये व्यापक स्तर पर जनजागरूकता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पहले उम्रदराज लोगो में हृदय से संबन्धित बीमारियाँ ज्यादा देखी जाती थी परंतु आजकल की जीवनशैली के चलते युवा भी इसके शिकार हो रहे हैंI युवाओं में बढ़ते हृदय रोगो का एक मुख्य कारण बढ़ता हुआ स्ट्रैस भी है।
सभागार में उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए वरीय हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रवि रंजन ने कहा कि हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है यहाँ तक कि अब युवाओँ में हृदय रोग संबंधी समस्याओं के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हृदय रोग संबंधी लक्षणों की समय से पहचान बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि यदि छाती में दर्द (चेस्ट पेन) हो तो इसे हल्के में न लें बल्कि जल्दी से जल्दी किसी स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुँचकर ई.सी.जी. करायें ताकि दर्द का सही कारण जाना जा सके। उन्होंने अपने अनुभव सांझा करते हुये बताया कि ज्यादातर मामले इसलिये गंभीर हो जाते है कि लोग साधारण दर्द समझकर घरेलू उपचार में समय गवां देते हैं जिससे बाद में रोग के प्रभाव की गंभीरता बढ़ जाती है अत: सभी को चाहिये कि चेस्ट पेन की स्थिति में गोल्डन आवर (पहला घंटा) को गंभीरता से लें तथा यह भी ध्यान रखें कि दर्द कुछ देर में कम हो भी जाए तो भी खतरे को कम ना आंकें और समुचित चिकित्सकीय परीक्षण अवश्य कराएं। 40 वर्ष की उम्र के बाद नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराने से रोगों के लक्षणों को जल्दी पहचाना जा सकता है जिससे उनका समय रहते इलाज हो सके। उन्होंने बताया कि दिनचर्या में बदलाव से कार्डियो वेस्कूलर डिजीज से बचा जा सकता है। एक बार हृदय रोग संबंधी बीमारी होने पर जीवनभर तनाव व उसके खतरों के डर में जीना पड़ता है इसलिये बीमारी होने से पहले बचाव के उपायों को अपनाएँ जो कि उपचार से अधिक बेहतर है । उन्होंने यह भी बताया कि नियमित व्यायाम, कम वसायुक्त भोजन, धूम्रपान से दूरी, तनाव रहित जीवन व भरपूर नींद से हृदय संबंधी रोगों से बचा जा सकता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ कुहेली बनर्जी ने किया। रिपोर्ट संकलन प्रो0 त्रिपुरारी कुमार ने किया। परिचर्चा में मुख्य रूप से प्रोफेसर इन चार्ज डॉ0 राजेन्द्र प्रताप, डॉ0 श्याम किशोर सिंह, डॉ0 रत्ना कुमार, डॉ0 अजित कुमार बर्णवाल, डॉ कुसुम रानी, प्रो0 अविनाश कुमार, प्रो0 सुमिरन रजक, प्रो0 तरुण कांति खलखो, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, डॉ अमित प्रसाद, डॉ अवनीश मौर्या, प्रो0 प्रकाश कुमार प्रसाद, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 विनोद कुमार एक्का, प्रो0 अंजू कुमारी, प्रो0 पूजा कुमारी, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रधान सहायक मो0 शारिक, प्रदीप महतो, सुजीत मंडल, एतवा टोप्पो, रतन टोप्पो, शंकर रविदास, मनोज तिर्की, शिव नारायण चौधरी एवं सैंकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।