आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में आज राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर महाविद्यालय इतिहास , मनोविज्ञान एवं राजनीतिशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मौजूद लोगों को मतदाता जागरूकता की शपथ भी दिलाई गई।
प्रोफेसर इन चार्ज डॉ राजेन्द्र प्रताप ने कहा कि हर अधिकार के पीछे कर्तव्य भी जुड़ा होता है, इसलिए हम सभी को मतदान के प्रति जागरूक रहना होगा। जिससे देशहित में अपना अमूल्य मत देकर देश के विकास में अपनी महती भूमिका निभायी जा सके।
इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 अविनाश कुमार ने इस अवसर पर कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ी लोकतांत्रिक देश है लेकिन देखने में यह आता है कि चुनाव के समय शत-प्रतिशत मतदान प्रक्रिया में लोग अपने मताधिकार का उपयोग नहीं करते हैं। इसी बात पर विचार करते हुए 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल के द्वारा मतदाता दिवस की शुरुआत की गई थी। हम सबका का दायित्व है कि मतदान प्रक्रिया में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
प्रो0 प्रकाश कुमार प्रसाद ने इस अवसर पर कहा कि जितने नए मतदाता हैं उनको मतदान के प्रति जागरूक करना , अपने आसपास के लोगों को मतदान की प्रक्रिया के बारे में बताना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा मतदान चुनाव के वक्त हो सके।
डॉ अवनीश मौर्या ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि आप सभी अपने अमूल्य मताधिकार का प्रयोग करके एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर देश को मजबूती प्रदान करें। प्रो0 सत्यनारायण गोराई ने मतदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मतदान के बिना लोकतंत्र अधूरा है।
छात्र-छात्राओं ने इस अवसर पर शपथ लिया कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परंपराओं की मर्यादा को बनाए रखेंगे और स्वतंत्र निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को ध्यान में रखते हुए निर्भीक होकर धर्म वर्ग जाति समुदाय भाषा अथवा अन्य किसी भी लोगों से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचन में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ रत्ना कुमार, डॉ अजित कुमार बर्णवाल, डॉ श्याम किशोर सिंह, प्रो0 विजय आइन्द,डॉ कुसुम रानी, प्रो0 तरुण कांति खलखो, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, प्रो0 सुमिरन रजक,डॉ अमित प्रसाद, डॉ कुहेली बनर्जी, प्रो0 अंजू कुमारी, प्रो0 विनोद कुमार एक्का, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 पूजा कुमारी, प्रो0 रागिनी शर्मा, मो0 शारिक, सुजीत मंडल, एतवा टोप्पो, रतन टोप्पो, शंकर रविदास, मनोज तिर्की एवं अन्य का मुख्य योगदान रहा।