आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्राचार्य आर एस मोर कॉलेज गोविंदपुर डॉ प्रवीण सिंह की अध्यक्षता में आज 4 जुलाई दिन- सोमवार को आर एस मोर कॉलेज गोविंदपुर में महाविद्यालय इतिहास विभाग एवं महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में "आज़ादी का अमृत महोत्सव : उद्देश्य एवं प्रासंगिकता " विषयक सेमिनार का आयोजन सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आईआईटी आइएसएम के मैनेजमेंट स्टडीज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर (डॉ) प्रमोद कुमार पाठक, बीबीएमकेयू स्नातकोत्तर इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ तनुजा कुमारी, सिम्फ़र के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ अंजनी कुमार, प्रजापति ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विद्यालय की विशाखा दीदी एवं शिवानी दीदी थे।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अपने स्वागत संबोधन में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि देश को भाषा , क्षेत्र, धर्म के आधार पे देश को न बाटें। आजादी इस वास्ते हमें नहीं मिली है। भारत को विविधता में एकता की भावना को आत्मसात कर निरन्तर प्रगति के पथ पर उन्मुख होना है।उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जीवनी पर प्रकाश डाला। साथ ही उनके बताए गए मार्ग पर चलने की छात्रों से अपील की। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी पूरे जीवन सत्य और अहिंसा की लड़ाई लड़ते रहे इसके परिणाम स्वरूप हमें आजादी मिली। उनका जीवनी आज भी प्रासंगिक है, हम सब को इससे सीख लेनी चाहिए।उन्होंने धर्म की कट्टरता से मुक्त होकर आध्यात्मिक मार्ग अपनाने की जरूरत पर बल दिया।
आईआईटी आइएसएम के सेवानिवृत्त प्रोफेसर (डॉ) प्रमोद पाठक ने इस अवसर पर कहा कि आज़ादी के साथ कई जिम्मेदारियों का निर्वहन भी हमारा दायित्व है। और इसमें सभी व्यक्तियों की भूमिका है।आज़ादी के साथ जिम्मेदारियों का निर्वहन भी दायित्व है। और इसमें सभी की भूमिका है।उन्होंने कहा कि समाज के प्रत्येक तबके ने संघर्ष किया तब हमें आज़ादी मिली। हमने विश्व को गांधीवाद का दर्शन दिया। अहिंसा का मार्ग बताया। हमें इसी मार्ग पर आगे बढ़ना है।उन्होंने कहा कि हम अपने इतिहास को जाने समझे और स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करें। हम देश को अग्रसारित करें यही इस महोत्सव का उद्देश्य है। पुराने गौरव को प्राप्त करने का संकल्प देश के युवाओं को लेना होगा। सारा दारोमदार युवा पीढ़ी पर है। वासनामुक्त संस्कारयुक्त समाज की स्थापना हमारा उद्देश्य होना चाहिए।
बीवीएमकेयू इतिहास विभाग की डॉ तनुजा कुमारी ने इस अवसर पर कहा कि झारखंड के वैसे नायक जो आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने के बावजूद कहीं गुम हैं उन्हें खोजना ही ऐसे कार्यक्रमों का उद्देश्य है।
डॉ अंजनी कुमार ने इस अवसर पर युवा पीढी को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हमे अपने इतिहास से प्रेरणा एवं शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक है।
प्रजापति ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विद्यालय की बैशाखी दीदी ने इस अवसर पर कहा कि मन की गुलामी से हमें मुक्त होना होगा। विश्व शांति की स्थापना करना हमारा ध्येय होना चाहिए। अपनी विसंगतियों से मुक्त होना होगा। गुस्से से आज़ादी , व्यसन से आज़ादी , वासना से आज़ादी ऐसे कार्यक्रमों का उद्देश्य होना चाहिए।
वमहाविद्यालय इतिहास विभाग के प्रो0 अविनाश कुमार ने इस अवसर पर कहा कि 12 मार्च 1930 को नमक यात्रा के की शुरुआत के उपलक्ष्य में आजादी के अमृत महोत्सव की शुरुआत हुई। भारत को विश्वगुरु बनाने के संकल्प केसाथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। देश के लिए प्रेरित होकर कार्य करते रहना है। मातृभूमि के प्रति जो ऋण है उसे चुकता करना है। देश को संकल्पित होकर आगे लेकर जाना है। अपनी संस्कृति को जाने। उसे आत्मसात करें। तभी देश का विकास सम्पन्न होगा।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव प्रो0 अविनाश कुमार ने कार्यक्रम में मुख्य भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन प्रो0 तरुण कांति खलखो एवं धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय प्रोफेसर इन चार्ज डॉ राजेन्द्र प्रताप ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ रत्ना कुमार, डॉ अजित कुमार बर्णवाल,डॉ श्याम किशोर सिंह, प्रो0 विजय आईंन, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, डॉ अमित प्रसाद, डॉ कुहेली बनर्जी, डॉ कुसुम रानी, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, डॉ अवनीश मौर्या, प्रो0 विनोद एक्का, प्रो0 प्रकाश प्रसाद, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 सुमिरन रजक,डॉ नीना कुमारी ,प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 पूजा कुमारी, श्री राकेश श्रीवास्तव, श्री सुजीत मंडल , खुशी कुमारी, तुकमणि सेन, गुलनाज परवीन, मो0 कलीम एवं अन्य उपस्थित थे।