नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वी जन्म जयंती पर आज आर0 एस0 मोर महाविद्यालय, गोविंदपुर द्वारा "नेताजी सुभाषचंद्र बोस का भारत के स्वाधीनता संग्राम में योगदान" विषयक वेबिनार का आयोजन सम्पन्न हुआ। वेबिनार के मुख्य अतिथि आईआईटी धनबाद के प्रोफेसर डॉ प्रमोद पाठक थे। कार्यक्रम की शुरुआत में आर0 एस0 मोर महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक त्रिपुरारी कुमार ने विषय प्रवेश करते कहा कि भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वी जयंती वर्ष को पराक्रम दिवस के रूप में आरंभ करने का निर्णय लिया है। इससे देश के लोगों विशेषकर युवाओं को काफी प्रेरणा मिलेगी। आर0 एस0 मोर कॉलेज, गोविंदपुर के प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस पूर्ण स्वराज्य चाहते थे।वह आजादी का अपने वतन का और इस मिट्टी का मोल समझते थे। उनके भाषणों में आजादी की बात प्रमुखता से होती थी। उन्होंने कहा था. 'ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं.।डॉ सिंह ने यह भी कहा की नेताजी ने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया और अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे। ‘नेताजी' हर कीमत पर मां भारती को आजादी की बेड़ियों से मुक्त कराने को आतुर देश के उग्र विचारधारा वाले युवा वर्ग का चेहरा माने जाते थे। वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। देश की स्वतंत्रता के इतिहास के महानायक बोस का जीवन और उनकी मृत्यु भले ही रहस्यमय मानी जाती रही हो, लेकिन उनकी देशभक्ति सदा सर्वदा असंदिग्ध और अनुकरणीय रही। प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने इस अवसर पर यह घोषणा भी की कि आर 0 एस0 मोर महाविद्यालय में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर पूरे वर्ष व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया जाएगा। आईआईटी आइएसएम धनबाद के प्रोफेसर डॉ प्रमोद पाठक ने इस अवसर पर कहा की उपनिवेशवाद के खिलाफ नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने वैश्विक शक्ति का निर्माण किया। उन्होंने महिलाओं ,युवाओं को स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि नेताजी हमारे सबसे लोकप्रिय राष्ट्रनायकों और स्वतंत्रता संग्राम के महानतम सेनानियों में से एक हैं। उनके कहने पर, लाखों भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े और अपना सब कुछ बलिदान किया। उनकी वीरता और देशभक्ति हमें प्रेरणा देती रहेगी।नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी बहादुरी और उपनिवेशवाद के विरोध के लिए देश हमेशा याद रखेगा। वेबिनार को संबोधित करते हुए आर एस मोर कॉलेज गोविंदपुर के इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक सत्य नारायण गोराई ने कहा कि नेताजी महान राष्टवादी, क्रांतिकारी एवं स्वाधीनता सेनानी थे। वो सिर्फ एक नाम ही नहीं वरन जवलंत विचार थे। उन्होंने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन को एक नई दिशा दी। मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रकाश कुमार प्रसाद ने कहा की सुभाष चंद्र बोस एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिनके लिए हम नेताजी शब्द का इस्तेमाल करते हैं । वह देश के असल नेता रहे हैं। नेताजी को स्वीकार करना है तो असल में नेताजी के विचारों को अपनाना होगा। आर0 एस0 मोर महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की समन्वयक डॉ रत्ना कुमार ने इस अवसर पर कहा कि भारत को आजादी दिलाने में सबसे बड़ा योगदान नेताजी सुभाष चंद्र बोस का है। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया। वे अंतिम सांस तक आजादी के लिए संघर्ष करते रहे। डॉ रत्ना ने यह भी कहा कि साल 1920 में नेताजु सुभाष चंद्र बोस ने इंग्लैंड में सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन 1921 में भारत में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों का समाचार सुनते ही भारत लौट आए और उन्होंने सिविल सर्विस छोड़ दी। इसके बाद नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए व सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा को छोड़कर देश को आजाद कराने की मुहिम का हिस्सा बन गए थे। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सूर्यनाथ सिंह ने किया तो धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक विनोद कुमार एक्का द्वारा किया गया। वेबिनार को सफल बनाने में प्रोफेसर-इन-चार्ज डॉ राजेंद्र प्रताप , प्रो0 सुभाष दा, प्रो0 मनोरंजन महतो, डॉ श्याम किशोर सिंह, डॉ रत्ना कुमार,प्रो0 विनोद कुमार एक्का, डॉ सूर्यनाथ सिंह, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 प्रकाश प्रसाद,प्रो0 सत्य नारायण गोराई, डॉ अमित प्रसाद, डॉ अवनीश मौर्या, डॉ नीना कुमारी, डॉ कुहेली बनर्जी , डॉ शुभ्रा प्रधान, प्रो0 रागिनी शर्मा, महाविद्यालय प्रधान सहायक मो0 शारिक, श्री प्रदीप महतो, श्री सुजीत मंडल एवं अन्य ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।