आर.एस. मोर महाविद्यालय, गोविंदपुर के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय भौगोलिक यात्रा(Excursion Tour) के लिए महाविद्यालय से प्रातः 6:30 बजे 38 छात्र/छात्राएं एवं 6 शिक्षक गण एकत्रित होकर बस परिवहन साधन से प्रातः 07:00 बजे अजोध्या हिल पुरुलिया के लिए रवाना हुए। इस यात्रा का उद्देश्य प्रायः शैक्षिक उद्देश्यों के लिए निरीक्षण करना और छात्रों को उनकी सामान्य दिनचर्या से बाहर के अनुभव प्रदान करना है।
विदित हो कि B.A. Geography (Hons), Sem - VI सत्र-2021-24 के पाठ्यक्रम के अनुसार छात्र-छात्राओं को भौगोलिक भ्रमण कराना है। इस भ्रमण का उद्देश्य विद्यार्थियों को विभिन्न पर्यटन के पहलू से अवगत कराना एवं पर्यावरण अध्ययन करना है। इस अवसर पर भूगोलिक भ्रमण के लिए जाते उपस्थिति विद्यार्थियों को महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रवीण सिंह ने अनुमतिस्वरूप अपने आशीर्वचन में मार्गदर्शन एवं दिशानिर्देश देते हुए कहा कि भूगोलिक भ्रमण से एक भू पर्यटन के रूप में अनेक लाभ हैं। किसी स्थल का साक्षात्कार होने से उससे संबंधित जानकारी और अनुभव द्वारा पर्यटक और निवासी दोनों का अनेक प्रकार से विकास होता हैं। भू पर्यटन परस्पर एक दूसरे को सूचना, ज्ञान, संस्कार और परंपराओं के आदान-प्रदान में सहायक होते है, इससे दोनों को ही व्यापार और आर्थिक विकास के अवसर मिलते हैं, स्थानीय वस्तुओं कलाओं और उत्पाद को नए बाज़ार मिलते हैं और मानवता के विकास की दिशाएँ खुलती हैं साथ ही बच्चों और परिजनों के लिए सच्ची कहानियाँ, चित्र और फिल्में भी मिलते हैं जो यात्रा के दौरान बनते हैं। अतः कई प्रकार से भूगोलिक यात्रा राजनैतिक, सामाजिक और प्राकृतिक कारणों से महत्वपूर्ण है।
आर.एस. मोर महाविद्यालय गोविंदपुर से अजोध्या हिल पुरुलिया लगभग 113 किलोमीटर की दूरी पर है यह क्षेत्र छोटा नागपुर पठार का सबसे निचला चरण है। सामान्य परिदृश्य में यहाँ की भूमि लहरदार है और यहाँ की पहाड़ियाँ बिखरी हुई हैं। अयोध्या पहाड़ी के आसपास का क्षेत्र एक विस्तृत पठारी क्षेत्र है। अयोध्या पहाड़ियों को बनाने वाली चट्टानें छोटानागपुर ग्रेनाइट नीस कॉम्प्लेक्स नामक चट्टानों के समूह से संबंधित हैं। सदियों से लंबे समय तक हुए कटाव ने क्षेत्र को गढ़ा और इसकी सराहनीय नदी घाटियों, अवशिष्ट पहाड़ियों, झीलों, झरनों और झरनों का निर्माण किया जो इस क्षेत्र को एक प्रमुख इकोटूरिज्म हॉट स्पॉट बनाते हैं। भू-विविधता के अलावा, यह क्षेत्र विविध वनस्पतियों और जीवों के घर के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र के शुष्क, पर्णपाती जंगलों में स्तनधारियों, उभयचरों, कीड़ों आदि की कई प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। साल, पलाश, कुसुम, मोहुआ, केंद, विभिन्न बांस आदि वनस्पति आमतौर पर देखे जाते हैं। अतः यहां की प्रकृति बहुत ही मनोहारी है, यहां के वन के वृक्ष, पशु-पक्षी, वनस्पतियां इत्यादि के दृष्टिकोण से भौगोलिक अध्ययन के लिए यह अतिमहत्वपूर्ण क्षेत्र है।
महाविद्यालय के भूगोल विभाग के ओर से आयोजित इस भूगोलिक यात्रा में भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष सुश्री स्नेहलता तिर्की, सुश्री अंजू कुमारी, दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. अजित कुमार बर्णवाल, प्रो. स्नेहलता होरो, डॉ. विनोद कुमार एक्का, श्री रतन टोप्पो एवं विभाग के छात्र-छात्राएं सम्मिलित हुए।