आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में आज महाविद्यालय सभागार में महाविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग , झरिया कोलफील्ड मैनेजमेंट एसोसिएशन तथा महाविद्यालय इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विश्व श्रम दिवस के आलोक में "गिग अर्थव्यवस्था में भारतीय श्रमिक : समस्याएं एवं चुनौतियां" विषयक एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आई आई टी आइएसएम धनबाद के सेवानिवृत्त प्रोफेसर (डॉ) प्रमोद पाठक थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आर0 एस0 मोर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने की। अपने शुरुआती संबोधन में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि भारत में सबसे पहले किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान के नेता कॉमरेड सिंगारवेलू चेट्टियार की अगुवाई में मजदूर दिवस मनाया गया था।उन्होंने यह भी कहा कि यह मजदूर ही हैं जो झोपड़ी में रहते हुए भी लोगों के लिए महलों का निर्माण करते हैं। देश की अर्थव्यवस्था भी इन्हीं मजदूरों के हाथ में सुरक्षित है। उन्हें सशक्त बनाने की जरूरत है।
प्राचार्य ने महाविद्यालय के सभी कर्मचारियों को बताया कि किसी भी संस्थान में कुशल एवं अकुशल दो प्रकार के लोग कार्य करते है। जिनके अथक प्रयास से संस्थान विकास के पथ पर अग्रसर होता है। उन्होंने सभी से आह्वान करते हुए कहा कि इस सेमिनार में हम शपथ लें कि महाविद्यालय के कार्यों को निर्धारित कार्यालय के समय में ही मिल जुलकर पूरा करेंगे।
इस अवसर पर आईआईटी आइएसएम धनबाद के सेवानिवृत्त प्रोफेसर (डॉ) प्रमोद पाठक ने कहा कि गिग इकॉनमी एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जिसमें सामान्य रूप से अस्थायी पद होते हैं और संगठन अल्पकालिक जुड़ाव के लिये स्वतंत्र श्रमिकों या कार्यकर्ता के साथ अनुबंध करते हैं।उन्होंने कहा कि भारत में अनुमानित 56% नए रोज़गार गिग इकॉनमी कंपनियों द्वारा ब्लू-कॉलर और व्हाइट-कॉलर कार्यबल दोनों में उत्पन्न किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत पूंजीवाद की दिशा में अग्रसर है। आज राष्ट्रीय कंपनियों में भी आउटसोर्सिंग के माध्यम से लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। यह स्थायी रोजगार के लिए शुभ संकेत नहीं है।
उन्होंने सुझाव देते हुए बताया कि एक अम्ब्रेला यूनियन बनाकर गिग श्रमिकों को सशक्त बनाने की आवश्यकता है जो उन्हें सामूहिक सौदेबाज़ी की शक्ति प्रदान करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की अर्थव्यवस्था पर निर्भरता भारत के भविष्य के लिए बेहतर संकेत नहीं हैं। सरकार को इस प्रकार की अर्थव्यवस्था पर निर्भरता कम करने की जरूरत है। इस अवसर पर उन्होंने छात्रों का मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन भी किया।
आर एस मोर महाविद्यालय की राजनीतिविज्ञान की सह -प्राध्यापिका डॉ संजू कुमारी ने इस अवसर पर कहा कि जागरूकता के अभाव के कारण से मजदूरों को उनका उचित अधिकार नहीं मिल पा रहा है।आज यह जरूरत है कि मजदूरों को उनके अधिकार के प्रति जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है और युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं। बेरोजगारों को रोजगार सुनिश्चित करने की जरूरत है।
अर्थशास्त्र के सहायक प्राध्यापक प्रो0 त्रिपुरारी कुमार ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत गिग श्रमिकों को अनिवार्य कवरेज प्रदान करने की आवश्यकता है।सही भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण की आवश्यकता है जो गिग वर्क में महिलाओं की भागीदारी का समर्थन करेगा।
इस अवसर पर डॉ अवनीश मौर्या ने कहा कि भारतीय संविधान के तहत श्रम को एक विषय के रूप में समवर्ती सूची में रखा गया है और इसलिये केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इस विषय पर विधि बना सकती हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ कुहेली बनर्जी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजीत कुमार बर्णवाल ने किया। कार्यक्रम के संयोजक इतिहास विभाग के प्रो0 अविनाश कुमार थे।कार्यक्रम में सैंकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ राजेन्द्र प्रताप, डॉ अशोक कुमार सिंह,डॉ रत्ना कुमार,डॉ कुसुम रानी, डॉ नीना कुमारी, डॉ अमित प्रसाद, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, प्रो0 तरुण कांति खलखो, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 विनोद एक्का, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 पूजा कुमारी, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 राकेश ठाकुर, मो0 शारिक, प्रदीप महतो, सुजीत मंडल एवं अन्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा।