आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में "संयमित जीवन की सुंदरता" विषयक सेमिनार का आयोजन महाविद्यालय सभागार में इतिहास एवं राजनीतिशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ।
सेमिनार के मुख्य वक्ता इस्कोन धनबाद के प्रमुख महंत एच0 जी0 सुंदर गोविंद दास एवं अच्युत गुणधम दास थे।कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने की। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर की गई।
अपने शुरुआती संबोधन में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि वर्तमान जीवन शैली में जिस तरह की भागदौड़ का सामना लोगों को करना पड़ता है उससे अक्सर लोगों को तनाव की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। संयमित जीवन जी कर तनाव से मुक्ति पाई जा सकती है।उन्होंने कहा कि तनाव वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति दैहिक, मनोवैज्ञानिक व सामाजिक हित में इष्टतम स्तर को बनाए रखने आसपास की स्थितियां एवं वातावरण को व्यवस्थित करती है। उन्होंने कहा कि जीवन की मुख्य घटनाएं और बदलाव रोजमर्रा की परेशानियां दीर्घकालिक भूमिका में तनाव के कारण है ।तनाव वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति दैहिक, मनोवैज्ञानिक व सामाजिक हित में इष्टतम स्तर को बनाए रखने आसपास की स्थितियां एवं वातावरण को व्यवस्थित करती है। उन्होंने कहा कि जीवन की मुख्य घटनाएं और बदलाव रोजमर्रा की परेशानियां दीर्घकालिक भूमिका में तनाव के कारण है ।उन्होंने कहा कि नकारात्मक प्रवृत्तियों को खुद से दूर रखना चाहिए।
इस्कोन के एच जी सुंदर गोविंद दास ने कहा कि कर्तव्य और कर्म के साथ योग कर जीवन को सुंदर बनाया जा सकता है। जीवन मे शिक्षा एवं कर्म का अत्यंत महत्व है।उन्होंने कहा कि तनाव मानव जीवन का अभिन्न अंग है। तनाव सीमित मात्रा में हो तो वह हमें विकास के लिए प्रेरित करता है। लेकिन तनाव की मात्रा अधिक हो और वह लंबे समय तक बनी रहे तो अनेक नकारात्मक, शारीरिक व मनोवैज्ञानिक प्रभाव का जनक बन जाता है। उन्होंने कहा कि चरित्र निर्माण में संयम का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। वासना का त्याग ही संयम कहलाता है। वासनाओं को रचनात्मक वृत्तियों में लगाना ही सच्चा संयम है अथवा सब विषयों के प्रति अनास्था रखना ही मन को जीतने का उपाय है और इसी को संयम कहते हैं।
इस्कोन के ही अच्युत गुणधम दास ने कहा कि जिस शरीर मे शुद्ध चेतना का वास होता है उसका जीवन सुंदर होता है।उन्होंने कहा कि अभ्यास से मानसिक संतुलन बनाया जा सकता है।संयम शब्द जितना साधारण हो गया है उसे क्रियात्मक सफलता देना उतना ही कठिन कार्य है। संयमित जीवन जीना किसी के लिए भी सहज नहीं है।
कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ कुहेली बनर्जी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजित कुमार बर्णवाल ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ परमेश्वर महतो, डॉ संजू कुमारी, डॉ अशोक कुमार सिंह, डॉ रत्ना कुमार, प्रो0 अविनाश कुमार, डॉ कुसुम रानी, डॉ नीना कुमारी, डॉ अमित प्रसाद, डॉ अवनीश मौर्या, डॉ त्रिवेणी महतो, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, प्रो0 तरुण कांति खलखो, प्रो0 विनोद एक्का, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 अंजू कुमारी, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 पूजा कुमारी, प्रो0 इकबाल अंसारी , सुजीत मंडल एवं अन्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा।