आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में महाविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के द्वारा महाविद्यालय सभागार में " युवाओं में तनाव एवं अवसाद :मुद्दे एवं चुनौतियां" विषयक एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता सह मुख्य अतिथि पीएमसीएच की न्यूरोसाइकिएट्रिस्ट विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ शिल्पी कुमारी थीं।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बाल कल्याण कमिटी के चेयरपर्सन डॉ उत्तम मुखर्जी थे। साथ ही कार्यक्रम में चाइल्ड प्रोटेक्शन अधिकारी आनंद कुमार भी उपस्थित थे।
अपने शुरुआती संबोधन एवं विषय प्रवेश में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि भारत में मानसिक समस्याओं के निराकरण हेतु आधारभूत संरचना की बेहद कमी है और प्रत्येक 1 लाख की आबादी पर मात्र 0.75 मनोचिकित्सक है जबकि इन्हें न्यूनतम 3 होना चाहिये। इस दिशा में ध्यान देना चाहिये।
देश का युवा देश की पूँजी है। उसे यूँ ही बर्बाद हो जाने और मरने के लिये नहीं छोड़ा जा सकता बल्कि उसे साथ लेकर चलने, उसकी भावनाओं के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है। उसे जीवन का मोल समझाने की जरूरत है, और यह बताने की जरूरत है कि उसके पास यदि स्वस्थ जीवन रहा तो वह भी अमूल्य रत्न है जिसके सहारे वह कोई भी उत्पादक गतिविधि करके अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों से तनावपूर्ण जीवन से बाहर निकलकर योग से जुड़ने एवं जीवनशैली में बदलाव की अपील की।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता डॉ शिल्पी कुमारी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की निम्न शर्ते हैं स्वयं को स्वीकार कर स्वयं से प्यार करना। खुद के यूनिक चरित्र पहुलओं को पहचान कर उनके माध्यम से आगे बढ़ना। उन्होंने कहा कि युवाओं के अंदर निरन्तर विकास की अभिलाषा होनी चाहिए। खुद के अंदर जो शौक प्रस्फुटित होते हैं उन्हें पंख देकर उन्मुक्त आकाश में उड़ान भरनी चाहिए। सदैव आशावादी होना चाहिए। ऐसा होने से मानसिक अवसाद पास नहीं आता।उन्होंने युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य के कारणों की चर्चा करते हुए कहा कि अभिभावकों के सपने और शैक्षिक बेरोजगारी, सामाजिक पूर्वाग्रह व उपेक्षा,शैक्षिक परिसरों में जातिगत, धार्मिक, लैंगिक या अन्य तरह का भेदभाव,व्यक्तिगत व पेशेवर सम्बन्धों में तनाव मुख्य हैं।उन्होंने यह भी कहा कि एक परीक्षा, एक डिग्री, एक नौकरी या एक विफल प्रेम सम्बन्ध मात्र ही मानव जीवन का निर्णय नहीं कर सकती। मानव जीवन को इनसे परे भी समझा जाना चाहिये।वजह कोई भी हो, वह इतनी बड़ी नहीं हो सकती कि युवा, जिसके आगे उसका पूरा जीवन पड़ा हुआ है, वह अचानक ही उसे यूँ ही समाप्त कर ले। यहाँ पर उसे एक ऐसे माहौल की जरूरत होती है जिसमें वह अपनी समस्याएँ खुलकर कह सके जिसका समय रहते निदान हो सके।
चाइल्ड वेलफेयर कमिटी धनबाद के चेयरपर्सन डॉ उत्तम मुखर्जी ने इस अवसर पर कहा कि झारखंड में सुकून और राहत की ज़िंदगी है। यहां से मानसिक स्वास्थ्य की ज्योति प्रज्ज्वलित हो तो इसकी लौ दूर तलक जाएगी। उन्होंने युवाओं को अवसाद एवं तनाव से बचने की सलाह दी एवं निरन्तर प्रगतिन्मुख होकर चलने को कहा। चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर धनबाद आनंद कुमार ने इस अवसर पर कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सामाजिक पक्ष और रूढ़ीवादिता को सुलझाना सबसे जरूरी है। इसे समझना होगा कि ये भी रोग हैं जिनका इलाज सम्भव है और प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिये। रोग को खारिज करने और छिपाने की प्रवृत्ति के कारण ही इन समस्याओं के 80% रोगी इलाज तक नहीं पहुँच पाते।
इस अवसर पर छात्रों के द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पर पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।जिसमे सुचित्रा मंडल प्रथम, शुभम कुमार द्वितीय एवं बृष्टि गोप तृतीय स्थान पर रहे।इस अवसर पर आयोजित भाषण प्रतियोगिता में सबीना खातून प्रथम, बृष्टि गोप द्वितीय एवं गोविंद महतो तृतीय स्थान पर रहे। निबंध प्रतियोगिता में रूमा मंडल ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की।
कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ कुहेली बनर्जी ने किया ।धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजित कुमार बर्णवाल ने किया। रिपोर्ट संकलन प्रो0 त्रिपुरारी कुमार ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से कार्यक्रम संयोजिका डॉ नीना कुमारी एवं सह संयोजक प्रो0 प्रकाश कुमार प्रसाद, डॉ राजेन्द्र प्रताप, डॉ श्याम किशोर सिंह, डॉ अशोक कुमार सिंह, डॉ रत्ना कुमार,प्रो0 अविनाश कुमार, प्रो0 स्नेहलता तिर्की,प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 अंजू कुमारी, प्रो0 विनोद एक्का, प्रो0 तरुण कांति खलखो,डॉ कुसुम रानी, डॉ अमित प्रसाद, डॉ अवनीश मौर्या, डॉ त्रिवेणी महतो, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 पूजा कुमारी, मो0 शारिक, प्रदीप महतो, सुजीत मंडल, सुप्रीति चक्रवर्ती एवं अन्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा।