दिनांक 16/06/2023 को आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में "भूमंडलीय ऊष्मा एवं जलवायु परिवर्तन: चुनौतियां एवं अवसर" विषयक सेमिनार का आयोजन आज़ादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतर्गत महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना, महाविद्यालय भूगोल विभाग एवं महाविद्यालय रसायन शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद सभागार में किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ,सिम्फ़र के वरीय वैज्ञानिक डॉ भानु पांडे, डॉ सुदर्शन राठौर एवं भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा धनबाद ग्रामीण की महिला महामंत्री नीतू शंकर के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गई।
अपने शुरुआती संबोधन में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर दो तरह की विचारधाराएं हैं। एक विचारधारा जलवायु परिवर्तन की अवधारणा को पूर्णतः खारिज करती है तो वहीं दूसरी विचारधारा जलवायु परिवर्तन की समस्या को मान्यता देते हुए इसके निराकरण के उपायों पर बल देती है। डॉ प्रवीण सिंह ने इस अवसर पर उपस्थित छात्रों से कहा कि ई -वेस्ट का सम्पूर्ण एवं सुरक्षित मैनेजमेंट आवश्यक है। इसको यत्र-तत्र फेंकना पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है।उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रत्येक छात्र कम से कम 5 पौधे लगाकर उनकी देखभाल करे और जलवायु परिवर्तन हेतु व्यक्तिगत सहयोग करे।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सिम्फ़र धनबाद के वरीय वैज्ञानिक डॉ भानु पांडे ने कहा कि भूमंडलीय ऊष्मा को आज के समय मे जानना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी का औसत तापमान पिछले कुछ वर्षो में लगभग 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। और इसके लिए ग्रीन हाउस गैस जिम्मेदार हैं।प्राकृतिक ग्रीन हाउस गैस पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है । परंतु मानव के लालच ने कई प्रकार के कृत्रिम ग्रीन हाउस गैसों का निर्माण किया है और भूमंडलीय ऊष्मा इसी का परिणाम है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में वैज्ञानिक डाटा प्रस्तुत करते हुए पूर्व औद्योगिक युग से वर्तमान समय तक वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ते सांद्रण और ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि के कारण हो रही ग्लोबल वार्मिंग, महासागरीय जल स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों के पिघलने, वर्षा चक्र के अनियंत्रित होने, बाढ़ तथा सूखा आदि पर चर्चा की तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को छात्रों के समक्ष रखा।उन्होंने कहा कि भूमंडलीय ऊष्मा पर नियंत्रण आवश्यक है वरना पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व पर खतरा है।भूमंडलीय ऊष्मा से ग्लेशियर पिघलेंगे और पृथ्वी के जलमग्न होने का खतरा है।
सिम्फ़र के ही वैज्ञानिक डॉ सुदर्शन सिंह राठौर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक परिणाम को रोकने में आम जनता की भी भागीदारी जरुरी है। अपशिष्ट गैसीकरण जैसे अपशिष्ट-चयनात्मक प्रबंधन संयंत्रों का विकास इस समस्या का समाधान कर सकेगा।उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन विकास के लिये एक सतर्क लेकिन संवहनीय दृष्टिकोण अपनाने का भी अवसर प्रस्तुत करता है।
भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा धनबाद ग्रामीण की महिला मंत्री नीतू शंकर ने इस अवसर पर कहा कि अर्थव्यवस्था और पर्यावरण परस्पर संबद्ध हैं। विकास के लिये एक सुनियोजित दृष्टिकोण, जो विशेष रूप से भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिये असंबद्ध विकास संभावनाओं को सुनिश्चित करे, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिये आवश्यक है।उन्होंने महिला सशक्तिकरण एवं नारी शिक्षा पर भी बात की।
महाविद्यालय रसायन शास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ त्रिवेणी महतो ने कहा कि जैव विविधता और पर्यावरण के क्षरण के प्रभाव विश्व स्तर पर तेजी से स्पष्ट हो रहे हैं, जो प्रगति को बनाए रखने तथा कल्याण और समृद्धि को बढ़ावा देने के प्रयासों में महत्वपूर्ण बाधाओं के रूप में सामने आ रहे हैं।उन्होंने व्यक्तिगत पर्यावरण संरक्षण के दायित्वों का भी जिक्र किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय भूगोल विभाग के छात्र-छात्राओं के द्वारा नाट्य मंचन के द्वारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजिका भूगोल विभाग की सहायक प्राध्यापिका प्रो0 अंजू कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ कुहेली बनर्जी ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, डॉ अमित प्रसाद, डॉ अवनीश मौर्या, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 स्नेहलता होरो, मो0 शारिक, सुजीत मंडल गोविंद कुमार महतो, मुकेश कुमार महतो एवं सैंकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।