आर एस महाविद्यालय गोविंदपुर में आज़ादी के अमृत महोत्सव पर महाविद्यालय सभागार में एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय इतिहास विभाग एवं महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि सीएसआर सिम्फ़र के निदेशक प्रो0(डॉ) अरविंद कुमार मिश्रा थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि आईआईटी आइएसएम के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ प्रमोद पाठक थे। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह, सीएसआर सिम्फ़र के निदेशक प्रो0 (डॉ) अरविंद कुमार मिश्रा, डॉ प्रमोद पाठक , प्रो0 अविनाश कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर की।
अपने स्वागत संबोधन में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि झारखंड के कुछ ही महाविद्यालय नैक B ग्रेड प्राप्त कर पाए हैं उनमें से आर एस मोर महाविद्यालय एक है ।इस उपलब्धि को हासिल करने में यहां के छात्र- शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का अमूल्य योगदान है। हमने 5 गांव गोद लिया है उसको विकसित करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि आर एस मोर महाविद्यालय बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का जीता जागता प्रतिबिंब है। रोबोटिक्स में आईआईटी आइएसएम में हमारे छात्रों ने दूसरा स्थान हासिल किया। महाविद्यालय को सफलता के उत्तुंग शिखर पर ले जाना है।उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने जो देश हमें सौंपा है उसे निरन्तर आगे लेकर जाना है। आर्थिक , सामाजिक समानता का लक्ष्य हमें हासिल करना है।लैंगिक , सामाजिक, आर्थिक , भाषाई, प्रांतीय, साम्प्रदायिक सभी भेदों को मिटाकर ही हम विश्व पटल पर अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभर सकते हैं।
इस अवसर पर संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो0 (डॉ) अरविंद कुमार मिश्र ने कहा कि 2027 तक भारत 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के रूप में तीसरी अर्थव्यवस्था बन जाएगा ।निकट भविष्य में भारत निश्चित ही आर्थिक स्वालंबन का केंद्र बनेगा । जब तक भारत आर्थिक महाशक्ति नहीं बनता, तकनीक में सिरमौर नहीं होता सच्चे अर्थों में तब तक विश्व गुरु नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि कोविड के समय पूरे विश्व को भारत मे प्रलय आने का अनुमान था। परन्तु भारत ने खुद की कोविड वैक्सीन बनाकर सभी अनुमानों को गलत साबित किया। महामारी के समय भारत ने वैक्सीन भेजकर गरीब देशों की मदद भी की।विश्व मे आज भारत का मान सम्मान बढ़ गया है। संपेरों का देश अब मंगलयान भेज पाने में सक्षम है। विज्ञान के क्षेत्रों में हमने अकल्पनीय सफलता हासिल की है।
विशिष्ट अतिथि डॉ प्रमोद पाठक ने कहा कि राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों के निर्वहन की चेतना जागृत करनी होगी तभी सही अर्थों में भारत स्वावलंबी हो पायेगा।उन्होंने कहा कि हम दुनिया के वैज्ञानिक और तकनीकी संसाधन के लिहाज से तीसरी महाशक्ति हैं। हमें अपनी बुनियादी आवश्यकता पर भी कार्य करने की जरूरत है। बदलाव हुए हैं पर अभी मंजिल हासिल करने को लंबा सफर तय करना है।भ्रस्टाचारियों , सूदखोरों पर कठोरतम कार्रवाई करने की जरूरत है। हम देश मे हुए बदलावों के प्रत्यक्षदर्शियों में एक हैं। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चर्चिल ने हिंदुस्तान के लोकतंत्र के 50 साल में बिखरने की भविष्यवाणी की थी। उनको हमने गलत सिद्ध किया। स्वास्थ्य एवं शिक्षा बुनियादी जरूरत हैं। इस पर कार्य करना होगा।न्याय प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है। आज 5 करोड़ मामले लंबित हैं। हमने प्रगति की है परंतु वो अपेक्षित नहीं है। रोजगार, गरीबी , असमानता इन समस्याओं पर एकाग्रता से कार्य कर इनका उन्मूलन करने की जरूरत है।
इस अवसर पर आज़ादी के अमृत महोत्सव के महाविद्यालय समन्वयक प्रो0 अविनाश कुमार ने कहा कि निष्क्रियता, आलस, सुख भोगने की प्रवृत्ति का त्याग किये बिना भारत सही मायने में स्वालंबन के सपने को पूरा नहीं कर सकता। प्राचीन भारत आर्थिक , सामाजिक हर रूप में स्वावलंबी था हमें पुनः उस लक्ष्य को हासिल कर इस माटी का कर्ज चुकाना है।
संगोष्ठी के उपरांत महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने वाणिज्य की सहायक प्राध्यापिका डॉ कुहेली बनर्जी के नेतृत्व में गीत -संगीत एवं प्रहसन के कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। मंच संचालन हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापिका प्रो0 तरुण कांति खलखो ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना की समन्वयक डॉ रत्ना कुमार, डॉ श्याम किशोर सिंह, डॉ अजित कुमार बर्णवाल, डॉ अशोक सिंह, डॉ कुसुम रानी, डॉ अमित प्रसाद, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, डॉ त्रिवेणी महतो, प्रो0 विनोद कुमार एक्का, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 अंजू कुमारी, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 पूजा कुमारी, प्रो0 रागिनी शर्मा, मो0 शारिक, प्रदीप महतो, सुजीत मंडल एवं अन्य उपस्थित थे।