आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में महाविद्यालय अंग्रेजी विभाग के द्वारा नामवर सिंह की रचना "भारतीय मन को उपनिवेश से मुक्त करना decolonizing Indian Mind" विषय पर संक्षिप्त संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता महाविद्यालय अंग्रेजी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ अशोक कुमार सिंह थे। संगोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय प्रोफेसर इन चार्ज डॉ राजेन्द्र प्रताप ने की।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विऔपनिवेशीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। भारतीय, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी लेखकों द्वारा इस नए प्रकार के साहित्य को "कॉमनवेल्थ लिटरेचर" या "न्यू लिटरेचर" या "पोस्ट औपनिवेशिक साहित्य" या नवीनतम नाम "थर्ड वर्ल्ड लिटरेचर" के रूप में जाना जाने लगा। उन्होंने कहा कि यदि हम इस नए साहित्य को देखें, तो यह और कुछ नहीं बल्कि औपनिवेशिक युग के बाद का नव "प्राच्यवाद" है। उन्होंने कहा कि नामवर सिंह का विचार है कि अंग्रेजी में भारतीय लेखकों को भारत के अतीत में 'पहचान' की तलाश करनी चाहिए। उनके लिए, यह अतीत कुछ ऐसा है जिस पर विचार नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि महसूस किया जाना चाहिए, न केवल उनकी सोच में बल्कि उनके लेखन में भी प्रतिबिंबित होना चाहिए। अतीत को उसकी सारी जड़ों सहित खोदकर फिर रक्तधारा में महसूस करना चाहिए।
डॉ राजेन्द्र प्रताप ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से महाविद्यालय के शैक्षणिक माहौल को नई ऊंचाई प्राप्त होगी।
संगोष्ठी का मंच संचालन वाणिज्य विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ कुहेली बनर्जी ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ श्याम किशोर सिंह, डॉ अजीत कुमार बर्णवाल, डॉ रत्ना कुमार, डॉ कुसुम रानी, डॉ अमित प्रसाद, डॉ अवनीश मौर्या,डॉ नीना कुमारी,प्रो0 अविनाश कुमार, प्रो0 तरुण कांति खलखो, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 त्रिवेणी महतो,प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 पूजा कुमारी, प्रधान सहायक मो0 शारिक, प्रदीप महतो, रतन टोप्पो, सुजीत मंडल, मनोज तिर्की एवं अन्य उपस्थित थे।