आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर प्राचार्य कक्ष में महाविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने की। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि जब जीवन के समक्ष आने वाली चुनौतियों के साथ समायोजन करना कठिन हो जाता है, यानी हम असफल हो जाते हैं तो मन में घोर निराशा उत्पन्न होती है। जीवन जीने की इच्छा समाप्त हो जाती है। संवेगात्मक अंतर्द्वंद, जिसमें मन हार जाता है। निराशा जीत जाती है। व्यक्ति आत्महत्या जैसा विभीषक कदम उठा लेता है। विश्व स्तर पर हर वर्ष 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। अगर भारत की बात करें तो वर्ष 2021 करीब पौने दो लाख लोगों ने आत्महत्याएं कीं। थोड़ा सा जागरूक रहने पर हम अपने आसपास आत्महत्या की प्रवृति को रोक सकते हैं।
इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रकाश कुमार प्रसाद ने कहा कि आत्महत्या के विचार लंबे समय तक अवसाद में रहने से आते हैं। इनकी सही समय पर पहचान कर उपचार करके इस प्रवृति को दूर किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मानसिक अवसाद के लक्षण आदमी के व्यवहार और स्वास्थ्य पर दिखने लगते हैं। यदि यह लक्षण तीन माह से लगातार बने रहें तो मनोवैज्ञानिक से संपर्क करें। इस प्रकार के लक्षण दिखने पर हेल्पलाइन नंबर 1075 पर सम्पर्क करें। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस के टोल फ्री नम्बर 080-46110007 पर कॉल कर परामर्श ले सकते हैं। किरन हेल्पलाइन नम्बर 1800-500-0019 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
इस अवसर पर विनोद कुमार एक्का ने कहा कि आत्महत्या कभी भी किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकता। जीवन बहुत अनमोल है, दुनिया भर की दौलत लूटाकर भी हम एक पल का जीवन खरीद नहीं सकते हैं। ज़िंदगी का मोल उससे पूछो जिनके पास चन्द लम्हों का जीवन बचा हो और वो खूब जीना चाहते हैं। ज़िंदगी जिंदादिली का नाम है, और आत्महत्या कायरता और बुजदिली का नाम है। हमारी ज़िंदगी दूसरों की देन है, इसे खत्म करने का हक़ हमे नहीं है। विश्व के सभी प्रकार के प्राणियों में मनुष्य ही एक ऐसा सामाजिक प्राणी है जो अन्य प्राणियों के मुकाबले शारीरिक और मानसिक तौर मजबूत होकर भी आत्महत्या जैसा गलत कदम उठाता है।
संगोष्ठी में मुख्य रूप से प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 सुमिरन कुमार रजक, डॉ नीना कुमारी, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, डॉ कुसुम रानी, डॉ अमित प्रसाद,प्रो0 सत्य नारायण गोराई, डॉ अवनीश मौर्या, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 स्नेहलता होरो, मो0 शारिक, प्रदीप कुमार महतो, दयामय मंडल एवं अन्य उपस्थित थे।