सिंगल यूज प्लास्टिक एवं पॉलिथीन को अपने दैनिक जीवन से हटाने एवं पर्यावरण को सुरक्षित करने के मुख्य उद्देश्य से आर एस मोर महाविद्यालय गोविंदपुर में महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई एवं महाविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह एवं सिम्फ़र के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ अंजनी कुमार थे ।
जागरूकता कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि हर साल 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जिसमें से लगभग 80 लाख टन महासागर में जा गिरता है।पिछले 50 वर्षों में, प्लास्टिक उत्पादन 22 गुना से अधिक बढ़ गया है।उन्होंने 75 माइक्रोन से नीचे के प्लास्टिक का पूर्णतया त्याग करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि नदियों के माध्यम से प्लास्टिक कचरा महा समंदर तक पहुंच कर समुद्री जीव जंतुओं को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक सर्वे में बताया गया है कि आने वाले 2050 तक यदि यही स्थिति रही तो जलीय जीव के वजन के 2 गुना अधिक प्लास्टिक कचरे का वजन समुद्र में होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर वैकल्पिक चीजें जैसे पेपर के कप, पेपर ग्लास, पत्तों से बने दोने, मिट्टी से बने कुल्हड़, सुराही, लकड़ी से बने कटलरी आयटम एवं स्टिक्स आदि का उपयोग किया जाए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिम्फ़र के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक में 17 तरह के उत्पाद शामिल हैं। इनमें प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड्स, बैलून के साथ उपयोग होने वाले प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइस्क्रीम स्टिक, सजावट में उपयोग होने वाला थर्माकोल का सामान, प्लेट्स, कप्स, ग्लास शामिल है। इसके अलावा प्लास्टिक के फोर्क, स्पून, चाकू, स्ट्रा, ट्रे आदि कटलरी आयटम, मिठाई के डिब्बों के चारों और लपेटने वाली फिल्म, निमंत्रण पत्र, सिगरेट पैकेट की पैंकिंग में उपयोग होने वाली प्लास्टिक और 100 माइक्रान से कम मोटाई के बैनर एवं स्टिकर शामिल हैं। इनके निर्माण, खरीदी-बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना की डॉ रत्ना कुमार ने प्लास्टिक को सेहत तथा पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक बताते हुए कहा कि सरकार ने सिगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया है।उन्होंने प्रतिबंध को सफल बनाने में आम आदमी सहयोग करने की अपील की।
अर्थशास्त्र के सहायक प्राध्यापक प्रो0 त्रिपुरारी कुमार ने इस अवसर पर कहा कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए प्रदूषणकारी है, प्लास्टिक हलका, मनभावन व सुविधाजनक है, हर घर में हर व्यक्ति के चलन में है, इस पर कड़े प्रतिबंध होना चाहिए।
बीबीएमकेयू की सिंगल यूज़ प्लास्टिक की ब्रांड अम्बेसडर खुशी कुमारी ने इस जागरूकता कार्यशाला में अग्रणी भूमिका निभाई।
महाविद्यालय से प्लास्टिक मुक्त हेतु जन जागरूकता रैली भी निकाली गयी। जनमानस को प्लास्टिक से होने वाले खतरा से अवगत कराया गया, रैली के माध्यम से प्लास्टिक के स्थान पर थैले का प्रयोग करने की अपील की गई।महाविद्यालय परिसर में स्वच्छता अभियान चलाया गया, बेकार उगे घास, खरपतवार को उखाड़ा गया, प्लास्टिक को एकत्रित किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ अजित कुमार बर्णवाल, डॉ राजेन्द्र प्रताप, डॉ कुहेली बनर्जी, प्रो0 सुमिरन रजक, डॉ कुसुम रानी,प्रो0 तरुण कांति खलखो,प्रो0 स्नेहलता तिर्की, प्रो0 अविनाश कुमार, डॉ अवनीश मौर्य, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 पूजा कुमारी,प्रो0 स्नेहलता होरो ,वरीय सहायक प्रदीप महतो ,रतन टोप्पो,सुजीत मंडल, एतवा टोप्पो एवं अन्य उपस्थित थे।