दिनांक 26.11.22 को संविधान दिवस के अवसर पर आर एस मोर महाविद्यालय सभागार में "भारत: लोकतंत्र की जननी" विषयक सेमिनार का आयोजन महाविद्यालय इतिहास एवं राजनीतिशास्त्र विभाग के द्वारा किया गया। सेमिनार के मुख्य वक्ता डॉ राजेन्द्र प्रताप थे। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि संविधान की उद्देशिका तथा मूल कर्तव्यों का निर्वहन हम सभी के लिए प्रेरणा है।उन्होंने उपस्थित सदस्यों को संविधान की प्रस्तावना व मूल कर्तव्यों का पाठन कराया।
इस अवसर पर इतिहास विभाग के प्रो0 अविनाश कुमार ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के समाज के प्रति कुछ कर्तव्य होते है। इन कर्तव्यों के अनुपालन में ही उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं पूर्ण विकास संभव है। यदि हम सभी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहे तो हम सभी के अधिकार स्वत: ही सुनिश्चित हो जाएंगे।उन्होंने संविधान को प्रत्येक भारतीय का धर्मग्रंथ बताया। इस अवसर पर डॉ अवनीश मौर्या ने कहा कि हमें संविधान निर्माताओं के संघर्ष तथा परिश्रम को सदैव याद रखना चाहिए। संविधान के आदर्शों, स्वतंत्रता आंदोलनों, राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए आपस में भाईचारे की भावना बनाये रखना चाहिए, जो जाति धर्म के भेदभाव से परे होना चाहिए।
प्रो0 विजय आइन्द ने इस अवसर पर कहा कि संविधान हमारे लोकतंत्र की आत्मा है। उन्होंने न्याय के आधारभूत सिद्धांत को संविधान का सबसे बड़ा रक्षक बताया। मंच संचालन प्रो0 तरुण कांति खलखो ने किया।धन्यवाद ज्ञापन प्रो0 सत्य नारायण गोराई ने किया।
इस अवसर पर डॉ रत्ना कुमार, प्रो0 विजय आइन्द , प्रो0 सुमिरन रजक,डॉ अवनीश मौर्या, प्रो0 तरुण कांति खलखो, प्रो0 स्नेहलता तिर्की, प्रो0 प्रकाश प्रसाद, प्रो0 अंजू कुमारी, प्रो0 विनोद एक्का, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 पूजा कुमारी, मो0 शारिक, प्रदीप महतो, मनोज तिर्की,शंकर रविदास एवं सैंकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।