आर एस मोर महाविद्यालय , गोविंदपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 126वीं जन्मजयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर महाविद्यालय द्वारा सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान विषयक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आईआईटी आइएसएम धनबाद के रिटायर्ड प्रोफेसर (डॉ) प्रमोद पाठक एवं पांडिचेरी विश्वविद्यालय के डॉ जय सिंह यादव थे।
कार्यक्रम की शुरुआत आर एस मोर महाविद्यालय , गोविंदपुर के प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह के द्वारा स्वागत संबोधन कर की गई। उन्होंने अपने शुरुआती संबोधन में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नेता जी का जीवन दर्शन मातृभूमि के लिए त्याग एवम संघर्ष का अप्रतिम उदाहरण है। उनका स्वतंत्रता संग्राम में योगदान शाश्वत है। आज़ाद भारत मे उनकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गयी है। नेताजी के पदचिन्हों पर चलते हुए हमें राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों से अपील करते हुए कहा कि हमारा यह दायित्व है कि जो इस राष्ट्र के लिए शहीद हुए हैं उनके बलिदान को हम नाकाम न होने दें। उनके पदचिन्हों पर हमें चलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनके बताए मार्ग पर चलकर देश के विकास में अपनी अपनी क्षमताओं के अनुसार सहयोग करना चाहिए। तभी जयंती मनाने के उददेश्य की पूर्ति होती है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आईआईटी आइएसएम के मैनेजमेंट विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ प्रमोद पाठक ने कहा कि नेताजी का व्यक्तित्व विजनरी, मिशनरी एवं रेवोल्यूशनरी गुणों का सम्मिश्रण था। नेताजी चारित्रिक रूप से क्रांतिकारी थे। नेताजी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को भुलाया नही जा सकता। उन्होंने छात्रों से कहा कि नेता जी का सम्पूर्ण जीवन पराक्रम एवम शौर्य की वीर गाथा है।हमे उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
पांडिचेरी विश्विद्यालय के रिसर्च स्कॉलर डॉ जय सिंह यादव ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय इतिहास की विडंबना यह है कि व्यक्ति विशेष के इर्दगिर्द इतिहास लेखन हुआ और इसी वजह से सुभाष चंद्र बोस को भारतीय इतिहास में उचित स्थान नहीं मिल सका। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमे भी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन से सीख लेकर स्वार्थ से ऊपर उठकर देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करना चाहिए।
इस अवसर पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा डॉ अजित कुमार बर्णवाल ने कहा कि आजाद हिन्द फौज के कमांडर की हैसियत ब्रिटिश शासन से नेता जी ने न केवल युद्ध लड़ा बल्कि आजाद हिंद फौज का गठन भी किया जिसे जापान,जर्मनी समेत कई देशों ने मान्यता दी। इसने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन को एक नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि नेताजी ने दार्शनिक विचारों का इस्तेमाल भारत की आज़ादी के लिए किया। इस अवसर पर प्रो0 सत्य नारायण गोराई ने कहा कि नेताजी का कथन तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा न केवल युवाओं को प्रेरणा देता है, बल्कि वर्तमान परिदृश्य में देश में व्याप्त कुरीतियां जैसे भ्रष्टाचार, जातिवाद, क्षेत्रवाद, आदि के विरुद्ध भी तैयार करता है।उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास वीरों की शौर्यगाथा से भरा पड़ा है।और हमें उनसे प्रेरित होने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य विभाग के डॉ कुहेली बनर्जी एवं डॉ अमित प्रसाद ने किया। धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विषय के सहायक प्राध्यापक डॉ अजित कुमार बर्णवाल ने किया। कार्यक्रम में सैंकड़ों एनएसएस स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की समन्वयक डॉ रत्ना कुमार, डॉ राजेन्द्र प्रताप, डॉ शबनम परवीन, डॉ श्याम किशोर सिंह, डॉ अवनीश मौर्या, प्रो0 प्रकाश प्रसाद, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 विनोद एक्का, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 इक़बाल अंसारी , प्रो0 राकेश ठाकुर , मो0 शारिक, प्रदीप महतो, सुजीत मंडल एवं अन्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा।