आर एस मोर महाविद्यालय , गोविन्दपुर के हिंदी विभाग के द्वारा "विभागीय काव्य पाठ का आयोजन " महाविद्यालय सभागार में सम्पन्न हुआ। विद्यार्थियों , शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने काव्य-पाठ में हिस्सा लिया और देशभक्ति व राष्ट्रप्रेम, हास्य रस,श्रृंगार रस की भावनाओं से ओतप्रोत काव्य-पाठ से मंच को सजीवता प्रदान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने की। कार्यक्रम में लगभग 100 छात्र उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापिका प्रो0 तरुण कांति खलखो ने निदा फ़ाज़ली की ग़ज़ल "सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो" से की। प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने पर्यावरण जागरूकता लाने हेतु "हे मानव तुम कब संभलोगे" शीर्षक स्वरचित कविता का पाठ किया। उन्होंने झांसी की रानी की वीरता का गुणगान करने वाली कविता "गोरों की सत्ता के आगे , थे जब वीरों के झुखे भाल …. झांसी पर संकट छाया तो जल उठी शौर्य की महा ज्वाल " का पाठ भी किया।
अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक त्रिपुरारी कुमार ने शैल चतुर्वेदी की हास्य कविता "बाई आंख चल गई" का पाठ किया। महाविद्यालय के प्रमुख सहायक मो0 शारिक ने स्वरचित गज़ल "जख्म गैरों से मैं छुपाता हूँ , दर्द ओ गम में भी मुस्कुराता हूँ एवं साकी और न मयखाने की बात चली अब पैमाने की" की खूबसूरत प्रस्तुत की।
कअंग्रेजी विभाग के छात्र याकूब अंसारी ने "सब्र कर प्यारी वो दिन भी आएगा" समेत कई गज़लों की मनमोहक प्रस्तुति दी। अर्थशास्त्र विभाग की खुशी कुमारी, हिंदी विभाग के छात्र राजकुमार मंडल, तमन्ना परवीन, चांदमुनी मुर्मू, देवंती कुमारी, एवं पार्वती मुर्मू एवं रफ्तार ने भी स्वरचित कविताओं को मनमोहक अंदाज में प्रस्तुत किया।
महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण ने छात्रों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि छात्रों ने स्वरचित काव्य-पाठ से न सिर्फ हमारा मन मोह लिया अपितु अपने सृजनात्मक कला का भी परिचय दिया है। कार्यक्रम का मंच संचालन हिंदी विभाग की सहायक प्राध्यापिका प्रो0 तरुण कांति खलखो ने किया।
प्रो0 विनोद कुमार एक्का ने कार्यक्रम के आखिर में धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से डॉ सूर्यनाथ सिंह, डॉ अजीत कुमार बर्णवाल, डॉ शबनम परवीन,डॉ कुसुम रानी, डॉ स्नेहलता तिर्की, प्रो0 अवनीश कुमार, प्रो0 प्रकाश कुमार प्रसाद, प्रो0 सत्य नारायण गोराई, प्रो0 रागिनी शर्मा,प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रदीप महतो, राकेश श्रीवास्तव एवं अन्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा।