अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस पर आर0 एस0 मोर कॉलेज गोविंदपुर में " कोविड-19 के समय में स्वयं का विकास" विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया
दिनांक 20.03.2021 , दिन- शनिवार को आर0 एस0 मोर कॉलेज गोविंदपुर में अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस पर "कोविड -19 के समय मे स्वयं का विकास" विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता आई0आई0टी /आई0एस0एम0 धनबाद के मैनेजमेंट विषय के रिटायर्ड प्रोफेसर प्रो0 (डॉ) प्रमोद पाठक थे।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए महाविद्यालय प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि लाकडाउन के बाद से लोगों की जिंदगियों में तनाव बढ़ गया है। इनमें कामकाजी युवा, छात्र व महिलाएं ज्यादा हैं।तनाव दूर करने के लिए अब योग और ध्यान का सहारा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस एक विश्वव्यापी आंदोलन की भांति कार्य कर रहा है जो प्रसन्नता को मौलिक मानव अधिकार बनाये जाने हेतु जागरूकता प्रदान कर रहा है।प्रसन्नता के स्तर में देश में उत्तरोत्तर सुधार नहीं होने के कारण से भारत की अधिकतर आबादी तनावग्रसित है। संयुक्त राष्ट्र की 'विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2019' के अनुसार, भारत खुशहाल देशों की सूची में पिछले साल के मुकाबले सात स्थान नीचे गिरकर 140वें स्थान पर पहुंच गया है. इस सूची में 156 देशों को शामिल किया गया है जिसमें फिनलैंड लगातार दूसरी बार शीर्ष पर है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आईआईटी/आइएसएम धनबाद के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ0 प्रमोद पाठक ने कहा कि कोविड के समय मे आज प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने की जरूरत है। भय और तनाव से मुक्ति कोरोना से बचाव के लिए जरूरी है। भय और तनाव से मुक्त होकर कोरोना के बचाव के उपायों को अपनाकर हम दैनिक दिनचर्या में आगे विकास की ओर अग्रसारित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने हमे अपने अंदर झांकने का अच्छा मौका दिया ।हमें अपने और अपनो के लिए कुछ समय निकालने की आवश्यकता है, कोई बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ने की जरूरत है। कोरोना की वजह से जीवन शैली में परिवर्तन आए हैं। पृथ्वी के हर जीव जंतु प्राणी पर कोरोना महामारी का प्रभाव देखने को मिला है। ऐसे में उनकी जीवनशैली में अनेक परिवर्तन भी आए हैं। भौगोलिक परिवर्तन हो या मानवीय जीवन संबंधित परिवर्तन कोरोना से सभी लोग प्रभावित हुए हैं, जिसका असर मानवीय जीवन शैली परिवर्तन में अधिक दिखाई दे रहा है। इससे जीवन काफी प्रभावित हुआ है। इस कोरोना संक्रमण के कारण विशेष रूप से विद्यार्थी जीवन प्रभावित हुआ है, जिसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि उन सभी व्यक्तियों पर रहा है जो कि शारीरिक क्रियाओं में सम्मिलित हैं। एक मात्र शारीरिक जीवन ही नहीं इसमें मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है। क्योकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है ऐसा कहा जाता है इसका एक मात्र उपाय कि हमें स्वयं को किसी ना किसी कार्य में व्यस्त रखना चाहिए। सिर्फ विद्यार्थी जीवन के लिए ही नहीं आम व्यक्तियों के लिए भी जरूरी है कोई भी कार्य करते रहे और अपने बच्चे को भी खेल खेल में ऐसे कार्य में व्यस्त कर दें, जिससे उसका शारीरिक ही नहीं मानसिक विकास भी हो। प्राणी जाति के लिए अच्छा होगा कि इस दौरान समय की कीमत को पहचाने। जो हम समय चाहते हैं तब मिलता नहीं अब मिल रहा है तो इस समय का सदुपयोग ऐसे कार्य करने में करें, जिससे हमारा मानसिक व शारीरिक रूप से विकास नियमित रूप से जारी रहे। बुरा नहीं अच्छा समय समझ कर अपना विकास करें और दूसरे लोगों को भी इसकी प्रेरणा दें। उन्होंने इस अवसर पर महाविद्यालय पुस्तकालय को किताबों का भेंट भी दिया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ नीना कुमारी एवं प्रो0 त्रिपुरारी कुमार ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रोफेसर-इन-चार्ज डॉ राजेन्द्र प्रताप, डॉ रत्ना कुमार, डॉ अजित कुमार वर्णवाल, प्रो0 सुभाष दा, प्रो0 मनोरंजन महतो, डॉ शबनम प्रवीण, डॉ सूर्यनाथ सिंह, डॉ श्याम किशोर सिंह, डॉ0 कुहेली बनर्जी, डॉ नीना कुमारी, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 विनोद कुमार एक्का , प्रो0 सत्यनारायण गोराई, प्रो0 प्रकाश प्रसाद, प्रो0 अमित प्रसाद,डॉ शुभ्रा प्रधान, प्रो0 रागिनी शर्मा, प्रो0 स्नेहलता होरो, प्रो0 पूजा कुमारी, प्रो0 इक़बाल अंसारी, प्रो0 राकेश ठाकुर, प्रो0 राजकुमार पाल,कॉलेज प्रधान सहायक मो0 शारिक, सुजीत मंडल, प्रदीप महतो, रतन टोप्पो, मनोज तिर्की एवं अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही।