झारखंड आंदोलन के प्रणेता बिनोद बिहारी महतो शनिवार को आर एस मोर कॉलेज ,गोविंदपुर में याद किए गए। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए महाविद्यालय प्रोफेसर-इन-चार्ज डॉ राजेन्द्र प्रताप ने कहा कि विनोद बाबू ने पढ़ो और लड़ो का नारा देकर समाज को एक दिशा दी है। उन्होंने झारखंड का निर्माण किया है। ऐसे में उन्हें झारखंड के पितामह की संज्ञा दी जा सकती है।
इस अवसर पर प्रोफेसर सत्य नारायण गोराई ने कहा कि बिनोद बाबू के विचार आज भी प्रषांगिक है।वे जीवन पर्यंत गरीबों एवं समाज के कमजोर लोगो की लड़ाई लड़ी।शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान अनुकरणीय है। वे हमेशा कहते थे कि पढ़ो तब लड़ो। उनके बताए मार्ग पर आज भी लोग चलते है।
डॉ अवनीश मौर्या ने उनकी पुण्यतिथि पर उनका स्मरण करते हुए कहा कि विनोद बाबू हमेशा शिक्षा के प्रचार-प्रसार और झारखंडी युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने और उन्हें अवसर देने वाले झारखंड के इकलौते नेता रहे। प्रोफेसर मनोरंजन महतो ने उन्हें याद करते हुए कहा कि उनसे पहली मुलाकात में ही वो उनके व्यक्तित्व की छटा से मंत्रमुग्ध हो गये। उन्होंने कहा कि विनोदबाबू के विचार और सपनों के झारखंड की लड़ाई आज अधूरी है। उनके विचारों और सपनों को कभी मिटने नहीं देंगे। प्रोफेसर विनोद एक्का ने इस अवसर पर कहा कि बिनोद बाबू ने लोगों को शिक्षित होकर अपने हक के लिए लड़ने का हौसला दिया था। सभा को छात्र नेता कुश महतो ने भी संबोधित किया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ रत्ना कुमार, डॉ अजित कुमार बर्णवाल, डॉ सूर्यनाथ सिंह, डॉ कुहेली बनर्जी, प्रोफेसर प्रकाश प्रसाद, प्रोफेसर त्रिपुरारी कुमार, प्रोफेसर अंजू कुमारी, प्रोफेसर इक़बाल अंसारी, प्रोफेसर राकेश ठाकुर, प्रोफेसर रागिनी शर्मा, प्रोफेसर स्नेहलता होरो, प्रोफेसर पूजा कुमारी , प्रदीप महतो, सुजीत मंडल, विकास साव, कुश महतो एवं अन्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा।