आज दिनांक 02/10/2021 दिन शनिवार को गाँधी जयंती के अवसर पर "वर्तमान समय मे गांधीवाद और इसकी प्रसांगिकता" विषयक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के मुख्य वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 (डॉ) ऋषिकांत पांडे, जैन कॉलेज आरा के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 (डॉ) शशि कुमार सिंह एवं आईआईटी /आइएसएम धनबाद के मैनेजमेंट स्टडीज के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ प्रमोद पाठक थे।
वेबिनार की शुरुआत आभासी दीप प्रज्वलित कर की गई।शुरुआती उद्बोधन में वक्ताओं का स्वागत करते हुए आर एस मोर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि गांधी जी एवं उनका सिद्धान्त सदैव प्रासंगिक रहेगा। उन्होंने कहा कि गांधी महानता की प्रतिमूर्ति थे। यह अत्यंत दुःखद है कि वर्तमान समय में केवल उनकी जयंती पर ही उन्हें याद किया जाता है। डॉ प्रवीण सिंह ने कहा कि गांधी के विचारों के अनुपालन से ही वैश्विक शांति की स्थापना संभव है। उन्होंने आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक ,व्यक्तिगत प्रत्येक क्षेत्र में गाँधी के प्रासंगिक होने की बात दुहराई।
वेबिनार को संबोधित करते हुए वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के जैन कॉलेज आरा के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 (डॉ) शशि कुमार सिंह ने कहा कि बहुत से देश हमारे साथ आज़ाद हुए परन्तु भारत ऐसा देश था जिसने सत्य एवं अहिंसा के गाँधी के मार्ग पर चलकर आज़ादी पाई।उन्होंने कहा कि गांधी के जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र के द्वारा विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाना ही उनकी प्रसांगिकता का प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत का सुंदर नवनिर्माण करना है तो निश्चय ही भारत को गांधी के बताए मार्ग पर चलना होगा। गांधी के सत्य , अहिंसा के मार्ग से ही भारत खुशहाल होगा।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो0 (डॉ) ऋषिकांत पांडे ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी एक मनीषी थे। वो केवल दार्शनिक या चिंतक ही नही अपितु अध्यात्मयुक्त कर्मयोगी थे। उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन दूसरों की भलाई को समर्पित कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि मानव को गांधी के मूल्यों पर चलते हुए अपने अंदर छुपे लोभ का त्याग करना होगा। क्योंकि लोभ ही व्यक्ति को संवेदनाशून्य एवं स्वार्थकेन्द्रित बनाता है और इसकी परिणति मानविक एवं प्राकृतिक शोषण की पराकाष्ठा के रूप में होती है।उन्होंने कहा कि समतामूलक समाज ही गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आईआईटी धनबाद के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ प्रमोद पाठक ने इस अवसर पर कहा कि गांधी शाश्वत हैं। उनकी प्रासंगिकता जन्म-जन्मांतर है। आज जरूरत गाँधी को सहज,सुलभ एवं सुग्राह्य बनाने की है। डॉ पाठक ने कहा कि गांधी व्यवहारिक आदर्शवादी थे। उनकी कथनी और करनी में भेद नहीं था।उन्होंने कहा कि आज गांधी के बताए ग्रामोदय, सर्वोदय एवं अंत्योदय के सिद्धान्तों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने गांधीवाद के प्रबल समर्थक श्री लाल बहादुर शास्त्री को भी इस अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आर एस मोर महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ अजित कुमार बर्णवाल ने कहा कि गांधी की महत्ता आज सर्वाधिक है। उनके शरीर की हत्या जरूर हुई पर उनके विचार अमर हैं। नफरत के इस दौर में गांधी और भी पूज्य हो गए हैं। ऐसे समय में उनके द्वारा प्रदत्त अहिंसा का मार्ग ही विश्व को प्रतिशोध की ज्वाला से बचा सकता है।
कार्यक्रम में ख़ुशी कुमारी, रिया सेन, श्वेता कुमारी, विवेक रक्षित एवं अन्य छात्रों ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
वेबिनार का संचालन आर एस मोर विभाग की अंग्रेजी विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ शबनम परवीन ने किया। धन्यवाद ज्ञापन भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक सह महाविद्यालय प्रोफेसर इन चार्ज डॉ राजेन्द्र प्रताप ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से डॉ रत्ना कुमार, डॉ श्याम किशोर सिंह, डॉ नीना कुमारी, डॉ कुहेली बनर्जी, डॉ अमित प्रसाद, डॉ सूर्यनाथ सिंह, डॉ अवनीश मौर्या, प्रो0 त्रिपुरारी कुमार, प्रो0 सत्यनारायण गोराई, प्रो0 विनोद एक्का, प्रो0 प्रकाश कुमार प्रसाद, प्रो0 रागिनी शर्मा, मो0 शारिक, सुजीत मंडल, प्रदीप महतो एवं अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही।